प्रशिक्षण एवं इस्लाही इजलास में सिख भाई चारा ने की शिरकत.
लुधियाना। रविवार को जमीयत उलेमा ज़िला लुधियाना की ओर से एक विशेष प्रशिक्षण एवं इस्लाही इजलास का आयोजन किया गया, जिसकी शुरुआत क़ारी मोहम्मद रागिब साहब की तिलावत-ए-कुरआन से हुई। कार्यक्रम का संचालन मुफ्ती शुऐब आलम क़ासमी (नाज़िम इस्लाहे मुआशरा, जमीयत उलेमा ज़िला लुधियाना) ने किया।

यह इजलास हज़रत मौलाना हकीमुद्दीन अशरफ अटावड़ी (सदर, जमीयत उलेमा मुत्तहिदा पंजाब, नूह मेवात) की सदारत में और मौलाना मुफ्ती मोहम्मद खलील क़ासमी (रुक्न शूरा दारुल उलूम देवबंद, चेयरमैन स्टेट हज कमेटी पंजाब) की सरपरस्ती में आयोजित हुआ।

मुख्य अतिथि के रूप में:
हज़रत मौलाना मोहम्मद हारून क़ासमी (नायब सदर, जमीयत उलेमा मुत्तहिदा पंजाब, पानीपत)
हज़रत मौलाना सैय्यद हबीबुल्लाह साहब मदनी (देवबंद)
मौलाना क़ारी मोहम्मद इलियास साहब पोंटी (जनरल सेक्रेटरी, जमीयत उलेमा मुत्तहिदा पंजाब, यमुनानगर)
मौलाना सैय्यद अहमद आदिल साहब (सेक्रेटरी, जमीयत उलेमा मुत्तहिदा पंजाब, पंचकूला)
ने विशेष रूप से शिरकत की।
इजलास की शुरुआत से पहले ध्वजारोहण (पर्चम कुशाई) की रस्म अदा की गई जिसमें सभी प्रमुख अतिथि मौजूद रहे।
अपने उद्बोधन में मौलाना हकीमुद्दीन अशरफ अटावड़ी ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के उद्देश्यों और विभागों का परिचय कराते हुए कहा कि यह संस्था हिंदुस्तानी मुसलमानों की एकमात्र प्रतिनिधि संस्था है जो देश और मिल्लत की हिफाज़त, कौमी यकजहती और इंसानियत की भलाई के लिए बिना किसी भेदभाव के काम करती है।
मुख्य अतिथि मौलाना सैय्यद अहमद आदिल साहब ने अपने प्रारंभिक भाषण में कहा कि जमीयत से जुड़ाव हर मुसलमान के लिए बरकत और भलाई का ज़रिया है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद का पैग़ाम है: मोहब्बत, इत्तेहाद और भाईचारा — और इसी पैग़ाम को हमें हर जगह फैलाना चाहिए।
इसी कार्यक्रम में मुफ्ती शुऐब आलम क़ासमी साहब ने शोबा-ए-इस्लाहे मुआशरा के अंतर्गत की गई लगभग छह महीनों की इस्लाही और तालीमी गतिविधियों की रिपोर्ट पेश की, जिस पर मौलाना सैय्यद हबीबुल्लाह मदनी साहब ने इस्लाही और नसीहत भरा बयान दिया और कहा कि हमें अपने समाज को दीनदार और इस्लाही बनाना चाहिए।
क़ारी ग़य्यूर अहमद साहब ने इस्तक़बालिया बयान पेश किया और तमाम मेहमानों और प्रतिभागियों का दिल से शुक्रिया अदा किया।
इसके बाद मौलाना हकीमुद्दीन साहब क़ासमी ने जमीयत के विभिन्न विभागों पर तफसीली बयान फरमाया।

इजलास का समापन मौलाना मोहम्मद हारून क़ासमी साहब की क़ीमती नसीहतों और दुआओं के साथ हुआ।
इस मौके पर मुफ्ती इर्तिका अल-हसन कंधलवी (मुफ्ती-ए-आज़म, पंजाब, मलेरकोटला) सहित अन्य उलेमा ने भी खिताब फरमाया।
विशेष उपस्थिति में:
फगवाड़ा से: हाजी ग़ुलाम सरवर सबा, फ़िरोज़ सैफ़ी, हाफिज़ मोहम्मद हाशिम, हाफिज़ मोहम्मद नाज़िम, हाजी मोहम्मद नौशाद आलम
मुफ़्ती मोहम्मद ख़ालिद, मुफ़्ती मोहम्मद नौशेर, मौलाना मोहम्मद जाबिर मजाहिरी, मोहम्मद अख्तर, मोहम्मद सलीम (ऑफिस सेक्रेटरी), क़ारी मोहम्मद आफ़ताब, भाई आफ़ताब गुलाबी बाग़, भारतीय किसान मज़दूर यूनियन से श्री दिलबाग सिंह जी, गुरचरण सिंह जी मान एवं श्री सुरजीत सिंह, मौलाना मोहम्मद आसिम, मुफ़्ती मोहम्मद साक़िब वग़ैरह शरीक हुए।
