UP: मैनपुरी सड़क हादसे ने छीनी छह जिंदगियां, गर्भवती महिला की कोख में ही थम गई सांसें
UP मैनपुरी सड़क हादसे ने छीनी छह जिंदगियां
UP: मैनपुरी में भीषण सड़क हादसा, पांच शव मौके पर दिखे लेकिन छठवीं मौत किसी को नजर नहीं आई—वह मां की कोख में थी; दर्दनाक मंजर देख परिजन बेहाल
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में शनिवार को सुबह-सुबह एक भीषण सड़क हादसा हुआ, जिसने सभी को झकझोर दिया। इस हादसे में मौके पर ही पांच लोगों की मौत हो गई, लेकिन सबसे दिल दहला देने वाली बात यह रही कि छठवीं मौत किसी को दिखाई नहीं दी—क्योंकि वो एक अजन्मी जान थी, जो एक गर्भवती महिला के पेट में दम तोड़ गई।
हादसे के बाद घटनास्थल पर पहुंचे लोगों और पुलिसकर्मियों ने जब क्षत-विक्षत शवों को गिनना शुरू किया, तो वहां पांच लाशें नजर आईं। लेकिन जैसे ही बचाव कार्य में लगी टीम ने एक घायल महिला को देखा, तो उनके होश उड़ गए। महिला की नाड़ी नहीं चल रही थी और पास में मौजूद परिजनों ने बताया कि वह छह महीने की गर्भवती थी। यानि इस हादसे में एक नहीं, दो जिंदगियां खत्म हो चुकी थीं।
कैसे हुआ हादसा?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसा उस वक्त हुआ जब एक तेज रफ्तार ट्रक ने एक ऑटो रिक्शा को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि ऑटो रिक्शा के परखच्चे उड़ गए। ऑटो में सवार कुल सात लोग थे, जिनमें से पांच की मौके पर ही मौत हो गई, एक की बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान और एक घायल जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है।
हादसा मैनपुरी के करहल क्षेत्र के पास हुआ, जहां रोज की तरह ये लोग सुबह अपने काम या घरेलू कारणों से सफर कर रहे थे। ट्रक ड्राइवर हादसे के तुरंत बाद फरार हो गया, जिसकी तलाश में पुलिस टीमें जुट गई हैं।
कोख में दबी चीखें
हादसे में जान गंवाने वाली महिला का नाम सीमा (परिवर्तित) था, जो अपने मायके जा रही थी। उसकी मां रोते हुए कहती हैं, “बेटी तो गई ही, मेरा नाती भी चला गया…कोख में ही सब खत्म हो गया।” आसपास खड़े लोग भी इस बात को सुनकर सन्न रह गए।
पुलिस ने पुष्टि की है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह साफ हुआ है कि महिला गर्भवती थी और गर्भ में पल रहा शिशु भी हादसे का शिकार हुआ। यानी यह हादसा छह नहीं, सात मौतों का गवाह बन गया है।
सदमे में परिवार
मृतकों के परिवारों का हाल बेहाल है। किसी की मां गई, किसी का भाई, किसी की बहन और किसी का अजन्मा बच्चा। पूरे गांव में मातम पसरा है। लोग कह रहे हैं कि यह कोई आम हादसा नहीं, बल्कि एक परिवार की बर्बादी है।
सरकार की ओर से मुआवजे की घोषणा की गई है, लेकिन जो लोग अपने प्रियजनों को खो चुके हैं, उनके लिए यह राहत न के बराबर है। डीएम और एसपी ने घटनास्थल का दौरा किया और अधिकारियों को निर्देश दिए कि घायलों को बेहतर इलाज और परिजनों को हर संभव मदद दी जाए।
सड़कें बन रही हैं मौत का कारण
उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। खराब सड़कें, तेज रफ्तार वाहन, नियमों की अनदेखी और ट्रैफिक प्रबंधन की खामियां इन हादसों की मुख्य वजह बन रही हैं। हाल के महीनों में कई जिलों से इस तरह की दर्दनाक घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की जान गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन नहीं होगा और सड़कों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे।
जिम्मेदारी तय होनी चाहिए
मैनपुरी हादसे के बाद फिर से वही सवाल उठ खड़ा हुआ है—क्या सिर्फ मुआवजा देना काफी है? ट्रक ड्राइवर फरार है, लेकिन क्या उसका लाइसेंस, वाहन की फिटनेस, ओवरलोडिंग की जांच होगी? क्या प्रशासन इन मौतों से सबक लेगा?
स्थानीय लोगों ने ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जिस जगह पर हादसा हुआ, वहां पहले भी कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन कोई चेतावनी बोर्ड, स्पीड ब्रेकर या पुलिस की निगरानी नहीं है।
यह हादसा एक बार फिर साबित करता है कि मौत कभी भी, कहीं भी दस्तक दे सकती है। लेकिन जब वह एक साथ कई जिंदगियों को निगल जाती है, और जब एक नन्ही जान को दुनिया देखने से पहले ही अलविदा कहना पड़ता है—तो वह सिर्फ एक हादसा नहीं, एक सामाजिक चेतावनी बन जाता है।
