लोकसभा में हंगामा
कांग्रेस सहित विपक्षी सांसदों के नारेबाजी और तख्तियां लहराने पर भड़के लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, कहा – ‘गैर-संसदीय आचरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा’
लोकसभा के मानसून सत्र के दौरान शुक्रवार को संसद में जोरदार हंगामा देखने को मिला। कांग्रेस सहित INDIA गठबंधन के कई विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी, तख्तियां लहराने और सीटों से उठकर वेल में आकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि “संसद में सड़क जैसा व्यवहार नहीं चलेगा।”
विपक्ष का प्रदर्शन, सरकार के खिलाफ नाराजगी
सत्र की शुरुआत होते ही विपक्षी दलों ने बेरोजगारी, महंगाई, मणिपुर मुद्दे, और हालिया घोटालों को लेकर सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, आम आदमी पार्टी, और लेफ्ट के सांसदों ने हाथों में तख्तियां लेकर वेल में आकर नारेबाजी की। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे संसद में आकर जवाब मांग रहे थे।
विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार चर्चा से भाग रही है और विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है। कुछ सांसदों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से लाइव भी किया, जो नियमों का उल्लंघन माना जाता है।
स्पीकर ओम बिड़ला ने जताई नाराजगी
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने विपक्षी सांसदों की गतिविधियों पर नाराजगी जताते हुए कहा,
“सदन में इस प्रकार का आचरण बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। यह संसद है, कोई सड़क या प्रदर्शन स्थल नहीं। हम सभी को अनुशासन और गरिमा बनाए रखनी चाहिए।”
उन्होंने आगे चेतावनी दी कि अगर यह रवैया जारी रहा, तो वे कड़े कदम उठाने को मजबूर होंगे।
“आप नियमों का उल्लंघन करेंगे तो लोकतंत्र कमजोर होगा। आप तख्तियां लहराएं, नारेबाजी करें, इसका सदन में कोई स्थान नहीं। सदन की मर्यादा को बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।”
सत्ता पक्ष का पलटवार
विपक्ष के हंगामे पर सत्ताधारी भाजपा ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि विपक्ष सिर्फ ड्रामा कर रहा है, उनका मकसद चर्चा नहीं बल्कि अव्यवस्था फैलाना है। उन्होंने कहा,
“हम हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार हैं, लेकिन विपक्ष का रवैया स्पष्ट रूप से संसद को बाधित करने वाला है।”
विपक्ष की सफाई
हालांकि विपक्ष का कहना है कि वे संसद की गरिमा का सम्मान करते हैं, लेकिन जब उनकी आवाज दबाई जाती है, तो उनके पास विरोध दर्ज कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा,
“हमने बार-बार स्पीकर से अनुरोध किया कि मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री खुद सदन में बयान दें, लेकिन हमें अनदेखा किया गया। जब बात नहीं सुनी जाती, तो हमें मजबूरन विरोध करना पड़ता है।”
टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने भी स्पीकर से आग्रह किया कि वह सत्ता पक्ष को भी अनुशासित करें, जो विपक्ष के विरोध का मज़ाक उड़ाते हैं।
लोकसभा की कार्यवाही बार-बार स्थगित
हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। पहले प्रश्नकाल बाधित हुआ, फिर शून्यकाल भी पूरी तरह प्रभावित रहा। स्पीकर ने बार-बार सांसदों से अपील की कि वे अपनी-अपनी सीटों पर लौटें और लोकतांत्रिक तरीके से चर्चा में भाग लें। लेकिन हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा था।
लोकतंत्र बनाम अनुशासन
संसद में अक्सर सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव होता रहा है, लेकिन हालिया घटनाएं यह संकेत देती हैं कि दोनों पक्षों में संवाद की जगह टकराव की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। स्पीकर ओम बिड़ला की नाराजगी न सिर्फ एक चेतावनी थी, बल्कि यह उस गहराते अविश्वास को भी दर्शाती है, जो आज के राजनीतिक विमर्श में सामने आ रहा है।
लोकसभा की गरिमा बनाए रखना केवल स्पीकर की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर सांसद की साझा जिम्मेदारी है। संसद देश की सर्वोच्च विधायिका है, जहां बहस और विचार-विमर्श से नीति तय होती है। यदि वहां ही अव्यवस्था और अनुशासनहीनता का माहौल बन जाए, तो यह लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ होगा।
निष्कर्ष
संसद में सड़क जैसा बर्ताव लोकतंत्र के लिए घातक है। लोकसभा अध्यक्ष की टिप्पणी से साफ है कि वे अब इस प्रकार के व्यवहार के खिलाफ सख्त रुख अपनाने वाले हैं। सवाल यह है कि क्या विपक्ष भी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करेगा, या संसद का मानसून सत्र इसी तरह हंगामे की भेंट चढ़ जाएगा?
