हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें कहा गया है कि पति का अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की मांग करना स्वाभाविक है और इसे “क्रूरता” के रूप में नहीं देखा जा सकता, जब तक कि यह पत्नी की सहमति के बिना, जबरन या असंवैधानिक तरीके से न हो। इस फैसले में कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि विवाह एक ऐसा संबंध है जिसमें शारीरिक संबंध दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति और समझ पर आधारित होते हैं।
हालांकि, अगर पति शारीरिक संबंध के लिए जोर-जबरदस्ती करता है, तो यह “वैवाहिक बलात्कार” की श्रेणी में आ सकता है और इसे अपराध माना जा सकता है। लेकिन सामान्य परिस्थितियों में, पति द्वारा शारीरिक संबंध बनाने की मांग को केवल क्रूरता के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता।
यह फैसला विवाह संस्था की मूल भावना और आपसी समझ पर आधारित है, जिसमें शारीरिक संबंध को एक महत्वपूर्ण पहलू माना गया है। लेकिन किसी भी प्रकार की जबरदस्ती या हिंसा को कानूनन गलत माना जाएगा।
