बुमराह की गैरमौजूदगी में गेंदबाजी आक्रमण के अगुआ बने 'डीएसपी साहब' मोहम्मद सिराज
मोहम्मद सिराज ने चुनौती को मौके में बदला, आक्रामकता और हुनर से भरते हैं टीम इंडिया में नई जान
टीम इंडिया का गेंदबाजी आक्रमण पिछले कुछ सालों में बेहद खतरनाक और विविधता से भरा हुआ रहा है। जसप्रीत बुमराह जैसे गेंदबाज की गैरमौजूदगी में भी भारतीय आक्रमण ने कई मौकों पर विपक्षी टीमों को दबाव में रखा है। इसका बड़ा श्रेय उस गेंदबाज को जाता है, जिसे साथी खिलाड़ी प्यार से ‘डीएसपी साहब’ कहते हैं – मोहम्मद सिराज। सिराज की खासियत है कि वह चुनौती को स्वीकार करना जानते हैं और जब टीम को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब वह खुद को और भी बेहतर साबित करते हैं।
मोहम्मद सिराज ने शुरुआती दौर में ही दिखा दिया था कि उनमें टेस्ट और वनडे दोनों फॉर्मेट में टीम इंडिया के लिए लंबे समय तक सेवाएं देने की क्षमता है। उनकी स्विंग, गति और लगातार सही लाइन-लेंथ पर गेंदबाजी करने की काबिलियत उन्हें खास बनाती है। बुमराह के चोटिल होने पर टीम में जो खालीपन पैदा होता है, सिराज ने उसे भरने की पूरी कोशिश की है। खास बात यह है कि उनकी बॉडी लैंग्वेज और एग्रेसन गेंदबाजी आक्रमण को नई ऊर्जा देता है। मैदान पर सिराज का जोश और आत्मविश्वास दूसरे गेंदबाजों के लिए भी प्रेरणा का काम करता है।
तेज गेंदबाजों के लिए भारत में पिचें हमेशा मददगार नहीं रही हैं, लेकिन सिराज ने हाल के सालों में घरेलू मैदानों पर भी असरदार गेंदबाजी की है। वहीं विदेशी दौरों पर, जैसे ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड में, उनकी गेंदबाजी में जिस तरह का अपस्विंग और सीम मूवमेंट देखने को मिला है, उसने टीम मैनेजमेंट और कप्तान को भरोसा दिलाया है कि बुमराह की कमी सिराज पूरी कर सकते हैं। यही वजह है कि उन्हें अब गेंदबाजी यूनिट का अगुआ माना जा रहा है।
सिराज ने कई बार कहा है कि उन्हें दबाव वाली स्थिति में गेंदबाजी करना पसंद है। जैसे ही टीम मुश्किल में होती है या विपक्षी बल्लेबाज सेट हो जाता है, सिराज और भी खतरनाक हो जाते हैं। उनका कहना है कि ऐसी परिस्थिति में खुद को साबित करने का मौका मिलता है और टीम की जीत में योगदान करने की संतुष्टि भी सबसे ज्यादा होती है। उनके इस एटीट्यूड ने ही उन्हें टीम इंडिया के सबसे भरोसेमंद गेंदबाजों में से एक बना दिया है।
सिराज का बाउंसर और लेंथ बॉल दोनों ही प्रभावी हैं। उन्होंने हाल में अपनी यॉर्कर पर भी काफी मेहनत की है, जो अब डेथ ओवर्स में विकेट निकालने में मददगार साबित हो रही है। सिराज के गेंदबाजी के विविधतापूर्ण हथियारों ने टीम के लिए रणनीतिक विकल्पों की संख्या बढ़ा दी है। इसके अलावा, वह विकेट गिरते ही टीम के खिलाड़ियों में जोश भरने का काम भी करते हैं, जिससे फील्डिंग में भी निखार आता है।
सिराज के संघर्ष की कहानी भी उनकी गेंदबाजी जितनी ही प्रेरक है। एक ऑटो ड्राइवर के बेटे के रूप में उन्होंने बेहद सीमित संसाधनों से शुरुआत की थी। उनके पिता का सपना था कि बेटा भारत के लिए खेले और सिराज ने मेहनत और लगन से वह सपना पूरा किया। यही जज्बा आज भी उनकी गेंदबाजी में दिखता है। वह हर विकेट को अपने पिता को समर्पित करते हैं और यही भावना उन्हें मुश्किल हालात में भी टिके रहने का हौसला देती है।
गेंदबाज के तौर पर सिराज की सबसे बड़ी ताकत उनकी सीखने की ललक है। उन्होंने अपने सीनियर्स से बुमराह की यॉर्कर, शमी की सीम पोजिशन और भुवनेश्वर कुमार की स्विंग की बारीकियां सीखीं। यही नहीं, सिराज नेट्स में भी पूरी गंभीरता से अभ्यास करते हैं और कोच की हर सलाह को अमल में लाने की कोशिश करते हैं। उनका मानना है कि गेंदबाज की सफलता का सबसे बड़ा मंत्र मेहनत और अनुशासन है।
कई पूर्व क्रिकेटर और विशेषज्ञ भी मानते हैं कि बुमराह की अनुपस्थिति में सिराज ने टीम को संभालने का काम शानदार तरीके से किया है। उन्होंने न सिर्फ नई गेंद से, बल्कि पुरानी गेंद से भी विकेट निकाले हैं, जो टेस्ट और वनडे दोनों फॉर्मेट में बेहद अहम होता है। सिराज का यह कौशल टीम इंडिया को बड़े टूर्नामेंट्स में और मजबूत बनाता है।
फिटनेस पर भी सिराज ने काफी काम किया है। वह खुद को लंबे स्पेल के लिए तैयार रखते हैं और मैदान पर पूरे जोश के साथ भागते हैं। यही वजह है कि कप्तान रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ उन पर पूरी तरह भरोसा करते हैं। सिराज ने आईपीएल जैसे टूर्नामेंट में भी दिखा दिया है कि वह बड़े मैचों के खिलाड़ी हैं और दबाव में भी बेहतरीन प्रदर्शन करने की काबिलियत रखते हैं।
सिराज की सफलता ने देशभर के युवा गेंदबाजों को यह संदेश दिया है कि अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है। वह छोटे शहरों के क्रिकेटरों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं और यह दिखाते हैं कि मेहनत और आत्मविश्वास से सपनों को साकार किया जा सकता है। उनकी कहानी भारतीय क्रिकेट की नई लहर का प्रतीक बन चुकी है, जिसमें प्रतिभा और कठिन परिश्रम के दम पर खिलाड़ी इंटरनेशनल स्तर पर छा जाते हैं।
मोहम्मद सिराज का लक्ष्य अब खुद को और बेहतर करना है। वह जानते हैं कि जब बुमराह लौटेंगे तो गेंदबाजी आक्रमण और मजबूत होगा, लेकिन तब तक वह अपनी भूमिका बखूबी निभाना चाहते हैं और खुद को टीम के सबसे भरोसेमंद गेंदबाजों में स्थापित करना चाहते हैं। उनकी मेहनत, जुनून और चुनौती स्वीकार करने का जज्बा टीम इंडिया के लिए बहुमूल्य संपत्ति है और यह दिखाता है कि ‘डीएसपी साहब’ मैदान पर बुमराह की कमी बिल्कुल महसूस नहीं होने देते।
