16 जुलाई तक भारी बारिश का अलर्ट
16 जुलाई तक भारी बारिश का अलर्ट:यूपी, बिहार, बंगाल, असम और ओडिशा की नदियां खतरे के निशान से ऊपर; हजारों लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचे, एनडीआरएफ की टीमें अलर्ट पर
देश के विभिन्न हिस्सों में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए बताया है कि 16 जुलाई तक देश के कई राज्यों में भारी से बहुत भारी बारिश जारी रह सकती है। इसके चलते उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा की नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं और बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
21 जिलों में बाढ़ की आशंका
केंद्रीय जल आयोग और मौसम विभाग की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार देश के 21 ज़िलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो सकती है। इनमें से अधिकांश ज़िले पूर्वी भारत के हैं, जहां नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। यूपी के बलिया, गाज़ीपुर, गोरखपुर, और बहराइच; बिहार के समस्तीपुर, दरभंगा, सीतामढ़ी और खगड़िया; पश्चिम बंगाल के उत्तर और दक्षिण 24 परगना; असम के धेमाजी, लखीमपुर, गोलपाड़ा और डिब्रूगढ़; ओडिशा के मयूरभंज, बालासोर और कटक जैसे जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
यूपी-बिहार: नदियां उफान पर
उत्तर प्रदेश में गंगा, घाघरा, शारदा और राप्ती नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। बलिया और बहराइच में स्थिति सबसे गंभीर बताई जा रही है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत कार्य में जुटी हुई हैं। बिहार में बागमती, कोसी, कमला बलान और गंडक नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। दरभंगा और सीतामढ़ी में कई गांवों में पानी भर गया है, जिससे लोग सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर रहे हैं।
असम और बंगाल में भी बिगड़े हालात
असम में ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के कारण धेमाजी, लखीमपुर और चराइदेव ज़िले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। अब तक राज्य में बाढ़ से 15 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 2 लाख लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। एनडीआरएफ की 15 टीमें राहत कार्यों में जुटी हैं।
पश्चिम बंगाल में हुगली और तीस्ता नदी के उफान से उत्तर बंगाल के जिलों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। दक्षिण 24 परगना और उत्तर दिनाजपुर ज़िले में निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति बन गई है। प्रशासन ने स्कूलों को कुछ दिनों के लिए बंद रखने का आदेश जारी किया है।
ओडिशा में बालासोर सबसे ज्यादा प्रभावित
ओडिशा में भारी बारिश के कारण नदियां उफान पर हैं। खासकर बालासोर, कटक और मयूरभंज ज़िलों में बाढ़ की स्थिति बन रही है। सुबर्णरेखा और बुद्धबलंगा नदियां खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं। बालासोर के निचले इलाके पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं और प्रशासन ने 2000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।
दिल्ली-हरियाणा-पंजाब में भी बारिश का असर
हालांकि उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बारिश उतनी भारी नहीं है, लेकिन दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में भी रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण निचले इलाकों में जलभराव देखने को मिला है। यमुना का जलस्तर बढ़ रहा है लेकिन अभी खतरे के निशान के नीचे है।
मौसम विभाग की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले 5 दिनों तक देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। बंगाल की खाड़ी से उठने वाली नमी भरी हवाएं मानसून को और अधिक सक्रिय बना रही हैं।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, ‘‘16 जुलाई तक असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के अधिकांश हिस्सों में भारी से अत्यधिक भारी बारिश की संभावना है। इससे नदियों का जलस्तर और बढ़ सकता है।’’
एनडीआरएफ और सरकार की तैयारी
बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने राहत और बचाव कार्यों के लिए विशेष टीमों को तैनात कर दिया है। नेशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स (NDRF) की 40 से अधिक टीमें संवेदनशील जिलों में तैनात की गई हैं। इसके अलावा, नावें, अस्थायी राहत कैंप और मेडिकल टीमें भी सक्रिय कर दी गई हैं।
लोगों से सतर्क रहने की अपील
सरकारी एजेंसियों ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों से बचें, प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें और बाढ़ संभावित इलाकों से निकलकर सुरक्षित स्थानों पर शरण लें। गांवों में लाउडस्पीकर के ज़रिये चेतावनी दी जा रही है।
निष्कर्ष
देश के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी राज्यों में मानसून का असर इस बार काफी तेज़ी से देखने को मिल रहा है। जहां एक ओर जल संकट वाले इलाकों को राहत मिल रही है, वहीं दूसरी ओर बाढ़ की त्रासदी से लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। सरकार की तैयारियों के बावजूद प्राकृतिक आपदा से पूरी तरह निपटना मुश्किल साबित हो रहा है। अब ज़रूरत है लोगों की सतर्कता और प्रशासन के साथ सहयोग की, ताकि जानमाल की क्षति को न्यूनतम किया जा सके।
