नेत्रदान से मिला नया जीवन
नेत्रदान से मिला नया जीवन: एक परिवार की संवेदनशील पहल ने दो लोगों को दी रोशनी, स्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक रूप से किया सराहनीय योगदान का सम्मान
मानवता की मिसाल पेश करते हुए एक परिवार ने अपने प्रियजन की मृत्यु के बाद नेत्रदान कर दो नेत्रहीन व्यक्तियों को नई रोशनी दी। इस नेक कार्य को सम्मानित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नेत्रदानी परिवार को सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों, डॉक्टरों और समाजसेवियों की उपस्थिति में परिवार को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन स्वास्थ्य भवन सभागार में किया गया, जहां विभिन्न जिलों से आए नेत्रदानी परिवारों ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाना और ऐसे परिवारों को सम्मानित करना था, जो इस पुनीत कार्य के लिए आगे आए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने अपने उद्बोधन में कहा, “नेत्रदान एक ऐसा कार्य है, जो किसी की दुनिया बदल सकता है। यह न केवल नेत्रहीनों को जीवन की नई दिशा देता है, बल्कि यह समाज में सेवा और त्याग की भावना को भी सुदृढ़ करता है। हम ऐसे सभी परिवारों को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने इस नेक कार्य में भागीदारी दिखाई।”
नेत्रदान की प्रेरणादायक कहानी:
सम्मानित परिवार के सदस्य रमेश शर्मा (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उनके पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने नेत्रदान का निर्णय लिया। “पिता जी हमेशा दूसरों की मदद करने में विश्वास रखते थे। उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनका शरीर समाज के काम आए। हमने उनकी इच्छानुसार उनके नेत्रदान का निर्णय लिया, जिससे दो लोगों को आंखें मिल सकीं,” रमेश ने कहा।
कार्यक्रम में एक ऐसे लाभार्थी को भी आमंत्रित किया गया था, जिसने हाल ही में नेत्र प्रतिरोपण के बाद पहली बार अपने परिवार को देखा। मंच पर उसकी भावुक प्रतिक्रिया ने उपस्थित सभी लोगों को भावुक कर दिया।
अभियान और आंकड़े:
नेत्रदान को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने पिछले वर्षों में कई जागरूकता अभियान चलाए हैं। इसके तहत अस्पतालों में नेत्रदान काउंटर, ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा और मृतक के परिवारों से संपर्क की व्यवस्था की गई है। विभाग के अनुसार, पिछले एक वर्ष में राज्य में कुल 3,200 नेत्रदान हुए, जिनके माध्यम से 6,000 से अधिक लोगों को रोशनी मिली।
स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. अनिल वर्मा ने बताया कि अभी भी देश में नेत्रदान की आवश्यकता बहुत अधिक है। “हमारे पास नेत्रहीन मरीजों की एक लंबी सूची है, जो किसी दानी की प्रतीक्षा में हैं। यदि हर परिवार नेत्रदान को लेकर जागरूक हो जाए, तो हम यह अंतर जल्द ही पाट सकते हैं।”
जागरूकता की जरूरत:
हालांकि नेत्रदान को लेकर समाज में धीरे-धीरे सकारात्मक बदलाव आ रहा है, फिर भी कई मिथक और गलत धारणाएं लोगों को इस कार्य से दूर रखती हैं। कई लोग धार्मिक या भावनात्मक कारणों से नेत्रदान को लेकर हिचकिचाते हैं।
इस विषय पर कार्य कर रहे समाजसेवी संगठन ‘दृष्टि जीवन’ की संस्थापक सीमा गुप्ता कहती हैं, “नेत्रदान मृत्यु के बाद किया जाने वाला सबसे सरल और प्रभावी दान है। इसके लिए किसी प्रकार की बड़ी व्यवस्था की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन इसके प्रति लोगों को सही जानकारी देना जरूरी है।”
नेत्रदान कैसे करें?
नेत्रदान करने के लिए व्यक्ति को किसी भी मान्यता प्राप्त अस्पताल या नेत्र बैंक में पंजीकरण कराना होता है। मृत्यु के 6 घंटे के भीतर नेत्रदान किया जा सकता है, इसलिए परिवार की सहमति और तत्परता बेहद आवश्यक होती है।
स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट पर अब ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध है, जहां इच्छुक लोग कुछ मिनटों में अपना संकल्प दर्ज करा सकते हैं।
समापन:
कार्यक्रम का समापन एक संकल्प सभा के साथ हुआ, जिसमें सभी उपस्थित लोगों ने नेत्रदान के लिए दूसरों को प्रेरित करने और स्वयं भी संकल्प लेने का संकल्प लिया।
स्वास्थ्य विभाग का यह प्रयास न केवल नेत्रदान को बढ़ावा देने की दिशा में एक सराहनीय कदम है, बल्कि यह उन परिवारों को भी प्रोत्साहन देता है, जो इस भावुक क्षण में भी मानवता की मिसाल कायम करते हैं।
