अब आंखें खोलेंगी दिल का राज
शोधकर्ताओं ने विकसित की AI तकनीक, जो रेटिना स्कैन से अगले 10 वर्षों में दिल की बीमारियों का जोखिम पहले ही पहचान लेगी
दिल की बीमारियों का खतरा भारत सहित पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति को पहले ही यह पता चल जाए कि आने वाले 10 सालों में उसे हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा है, तो न केवल उसकी जान बच सकती है, बल्कि समय रहते इलाज और जीवनशैली में बदलाव की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं। इसी दिशा में वैज्ञानिकों ने एक क्रांतिकारी खोज की है: अब आंखों की जांच से आपके दिल का हाल जाना जा सकेगा।
क्या है यह तकनीक?
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक नई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित तकनीक विकसित की है, जो व्यक्ति की आंखों की रेटिना को स्कैन करके उसके दिल की सेहत का आकलन कर सकती है। इस तकनीक को “Reti-CVD” नाम दिया गया है। यह तकनीक बिना किसी खून की जांच या जटिल परीक्षणों के, केवल आंखों की तस्वीर से पता लगा सकती है कि किसी व्यक्ति को भविष्य में हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कितना जोखिम है।
रेटिना कैसे देती है दिल का संकेत?
आंखों की रेटिना में मौजूद सूक्ष्म रक्तवाहिनियां हमारे शरीर की संपूर्ण रक्त परिसंचरण प्रणाली से जुड़ी होती हैं। इन रक्तवाहिनियों में हुए बदलाव दिल की बीमारियों के शुरुआती संकेत दे सकते हैं। AI तकनीक इन बदलावों को पहचानकर संभावित खतरे का विश्लेषण करती है।
कैसे काम करता है Reti-CVD?
यह सिस्टम रेटिना की हाई-रिजॉल्यूशन इमेज को स्कैन करता है और मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म का इस्तेमाल कर यह गणना करता है कि व्यक्ति को अगले 5 से 10 सालों में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (CVD) होने की कितनी संभावना है। इस प्रक्रिया में न तो ब्लड सैंपल की जरूरत होती है, न ही कोई दर्दनाक जांच।
क्या कहते हैं शोधकर्ता?
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीक विशेष रूप से उन जगहों पर कारगर हो सकती है, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं। वहां केवल एक रेटिना कैमरे की मदद से प्राथमिक जांच की जा सकती है। यह एक कम लागत वाला, तेज और सटीक समाधान साबित हो सकता है।
शोध के प्रमुख लेखक डॉ. एल्गर फर्नांडिस बताते हैं, “रेटिना स्कैन केवल आंखों की नहीं, पूरे शरीर की सेहत का आइना बन सकता है। AI की मदद से हम भविष्य में बीमारियों को बहुत पहले पहचान सकेंगे।”
क्यों है यह तकनीक जरूरी?
भारत में हर साल लाखों लोग हार्ट अटैक और स्ट्रोक से अपनी जान गंवाते हैं। अधिकतर मामलों में समय रहते बीमारी का पता नहीं चल पाता, जिससे मरीज को गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ता है। यदि पहले से ही जोखिम का अंदाजा हो जाए, तो इलाज, खान-पान और व्यायाम के जरिए इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
भविष्य में संभावनाएं
Reti-CVD जैसी तकनीकों के विकसित होने से हेल्थकेयर इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आने की संभावना है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और विकासशील देशों में जहां मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर कमजोर है, वहां यह तकनीक वरदान साबित हो सकती है।
इस तकनीक के जरिए मेडिकल चेकअप को अधिक सुलभ और किफायती बनाया जा सकता है। इसके अलावा, भविष्य में इसे मोबाइल ऐप्स या स्मार्ट डिवाइसेज से जोड़कर उपयोगकर्ताओं को अपने स्वास्थ्य की निगरानी स्वयं करने का मौका भी दिया जा सकता है।
निष्कर्ष
अब आंखें केवल देखने का ही नहीं, बल्कि दिल की सेहत का राज खोलने का भी जरिया बनेंगी। AI और मेडिकल साइंस का यह मिलाजुला प्रयास भविष्य में लाखों जानें बचा सकता है। समय पर जोखिम का पता लगना न केवल व्यक्ति की जान बचा सकता है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने वाले आर्थिक दबाव को भी कम कर सकता है।
नजर रखें, आंखें खोलें और दिल का ख्याल रखें — अब से आंखें दिल की जुबान बन चुकी हैं।
