Ramdan me jakat aur fitra niklne ka tarika indianewstv.in
2025 रमज़ान में ज़कात और फितरा निकालने का तरीका, महत्व और गणना
ज़कात और फितरा: रमज़ान का महीना इबादत और नेकियों का महीना होता है, जिसमें ज़कात और फितरा का खास महत्व है। यह जरूरतमंदों की मदद करने और समाज में आर्थिक संतुलन बनाए रखने के लिए अनिवार्य किया गया है।
1. ज़कात निकालने का तरीका
क्या है ज़कात?
इस्लाम में ज़कात हर मुसलमान पर फर्ज़ है, जो सालभर तक निसाब की मालियत का मालिक रहता है। यह गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए दिया जाता है।
ज़कात देने की शर्तें:
- ज़कात सिर्फ उन लोगों पर फर्ज़ होती है, जिनके पास निसाब (कम से कम 87.48 ग्राम सोना या 612.36 ग्राम चांदी या उनकी कीमत के बराबर संपत्ति) से अधिक धन हो।
- धन एक इस्लामी साल तक उसी हालत में बना रहे।
- कुल संपत्ति पर 2.5% ज़कात निकालनी होती है।
ज़कात निकालने का फॉर्मूला:
👉 (कुल बचत + निवेश + सोना/चांदी + बिजनेस की संपत्ति) – कर्ज = कुल संपत्ति
👉 कुल संपत्ति × 2.5% = ज़कात की रकम
ज़कात किन्हें दी जा सकती है?
कुरआन में 8 श्रेणियों का ज़िक्र है, जिन्हें ज़कात दी जा सकती है:
- गरीब
- मिस्कीन (अत्यधिक जरूरतमंद)
- ज़कात इकट्ठा करने वाले
- इस्लाम में नए शामिल हुए लोग
- कर्ज़दार
- अल्लाह की राह में खर्च करने वाले
- मुसाफिर (यात्रा में जरूरतमंद)
- गुलामों की रिहाई के लिए
2. फितरा (सदक़-ए-फित्र) निकालने का तरीका
क्या है फितरा?
सदक़-ए-फित्र (फितरा) रमज़ान के अंत में ईद से पहले दिया जाने वाला अनिवार्य दान है, जिससे गरीब भी ईद की खुशियों में शामिल हो सकें।
फितरा की गणना:
फितरा की रकम उन अनाजों के आधार पर तय की जाती है, जिनका उल्लेख हदीस में किया गया है। यह 2.5 किलो गेहूं, 3.5 किलो जौ, खजूर या किशमिश की कीमत के बराबर होता है।
👉 2025 में फितरा की राशि:

- गेहूं के हिसाब से: लगभग ₹80-100 प्रति व्यक्ति
- जौ के हिसाब से: लगभग ₹200-250 प्रति व्यक्ति
- खजूर/किशमिश के हिसाब से: लगभग ₹400-600 प्रति व्यक्ति
(राशि बाजार के अनुसार बदल सकती है, इसलिए अपने इलाके के मौलाना या इस्लामी संस्थान से तस्दीक कर लें।)
फितरा कब और किसे दिया जाए?
- ईद की नमाज़ से पहले देना बेहतर है।
- ज़रूरतमंद गरीबों, मिस्कीनों, अनाथों या किसी भी हक़दार को दिया जा स
कता है।
- परिवार के हर सदस्य (बच्चों समेत) के नाम से देना जरूरी है।
3. ज़कात और फितरा क्यों निकाला जाता है?
- ज़कात और फितरा निकालने से अल्लाह की रहमत और बरकत मिलती है।
- गरीबों और जरूरतमंदों की मदद होती है।
- समाज में समानता और भाईचारा बढ़ता है।
- यह आत्मा को शुद्ध करने का एक जरिया है।
- फितरा खासतौर पर ईद के दिन गरीबों की मदद के लिए अनिवार्य किया गया है।
ज़कात और फितरा निष्कर्ष:
रमज़ान 2025 में ज़कात और फितरा निकालना हर सक्षम मुसलमान की जिम्मेदारी है।
ज़कात साल में एक बार 2.5% के हिसाब से दी जाती है, जबकि फितरा ईद से पहले हर व्यक्ति पर अनिवार्य है।
ज़रूरतमंदों की मदद करें और अपनी ज़कात और फितरा सही लोगों तक पहुँचाएँ।
अल्लाह हम सबकी इबादतें कबूल करे, आमीन!

👍 bahut achha article hain
Thanks