स्वास्थ्य विभाग का विशेष अभियान
स्वास्थ्य विभाग का विशेष अभियान: गंदगी और अस्वच्छता के मामलों में घरों, दुकानों और प्रतिष्ठानों पर सख्त कार्रवाई; डेंगू-मलेरिया से बचाव के लिए लोगों को किया गया जागरूक
शहर और ग्रामीण इलाकों में संक्रामक बीमारियों की रोकथाम और साफ-सफाई के स्तर की निगरानी के लिए स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में विशेष अभियान चलाया। इस दौरान विभाग की टीमों ने घर-घर जाकर और बाजारों में दुकानों, होटलों, रेस्तरां, डेयरी, ठेलों, छोटे-बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों की जांच की। टीमों ने साफ-सफाई की स्थिति, खाद्य सामग्री के भंडारण की व्यवस्था, पानी की शुद्धता और कूड़े के निष्पादन के तरीकों का निरीक्षण किया। कई जगहों पर गंदगी और अस्वच्छ माहौल मिलने पर विभाग ने तुरंत कार्रवाई की और मौके पर ही 400 लोगों को नोटिस थमा दिए। इन नोटिसों के जरिए लोगों को चेतावनी दी गई कि यदि तय मानकों के अनुसार साफ-सफाई सुनिश्चित नहीं की गई तो उनके खिलाफ जुर्माना या कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बरसात के मौसम में डेंगू, मलेरिया, हैजा, टायफॉइड जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना अनिवार्य है। अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों में जागरूकता पैदा करना और उन्हें स्वच्छता के महत्व को समझाना भी है। इसके लिए टीमों ने लोगों को बीमारियों के लक्षण, बचाव के तरीके और स्वच्छता से जुड़े सुझाव भी दिए। कुछ इलाकों में कूलरों, गमलों और घरों के आसपास पानी जमा मिला, जो मच्छरों के पनपने का कारण बन सकता है। ऐसे मामलों में टीमों ने तुरंत लोगों को पानी हटाने और सप्ताह में कम से कम एक बार कूलर खाली कर साफ करने की हिदायत दी।
जांच के दौरान यह भी देखा गया कि कई दुकानों और होटलों में खाने-पीने की चीजें खुले में रखी गई थीं। इन पर धूल, मक्खियाँ और अन्य गंदगी आसानी से बैठ सकती है, जिससे खाद्य पदार्थ संक्रमित हो सकते हैं और खाने वाले लोग बीमार पड़ सकते हैं। इस पर अधिकारियों ने व्यापारियों को निर्देश दिए कि वे खाने की हर वस्तु को ढक कर रखें और कर्मचारियों की व्यक्तिगत सफाई पर भी ध्यान दें। कई जगहों पर कर्मचारियों के हाथ धुले न होने और गंदे कपड़े पहनकर खाना बनाने या परोसने के मामले भी सामने आए, जिनके लिए भी नोटिस जारी किए गए।
स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि जिन लोगों को नोटिस दिए गए हैं, उन्हें तय समय सीमा के भीतर सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने और विभाग को इसकी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। ऐसा न करने पर विभाग उनके खिलाफ फूड सेफ्टी ऐक्ट, पब्लिक हेल्थ ऐक्ट और नगर निगम के तहत जुर्माना, लाइसेंस निलंबन या अन्य कानूनी कदम उठाएगा। विभाग ने यह भी साफ किया कि यह कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति नहीं है बल्कि अभियान को पूरी गंभीरता से लिया जा रहा है ताकि बीमारियों पर काबू पाया जा सके और लोगों का स्वास्थ्य बेहतर रह सके।
अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक स्थलों का भी निरीक्षण किया। कई स्कूलों में बच्चों के लिए पानी के टैंक गंदे पाए गए, जिसके बाद स्कूल प्रबंधन को तुरंत टैंक साफ करने के निर्देश दिए गए। साथ ही बच्चों को हाथ धोने की आदत डालने और स्वच्छता के महत्व के बारे में नियमित जागरूकता सत्र चलाने की सलाह दी गई। अस्पतालों में भी बायोमेडिकल वेस्ट के उचित प्रबंधन की जांच की गई। कुछ क्लीनिक और निजी अस्पतालों में कचरा खुले में फेंका मिला, जो संक्रमण का बड़ा कारण बन सकता है। इन जगहों पर भी नोटिस देकर समय रहते सुधार करने के आदेश दिए गए।
इस पूरी प्रक्रिया के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने लगभग 1500 घरों और 500 से ज्यादा दुकानों, प्रतिष्ठानों की जांच की। जिन 400 लोगों को नोटिस थमाए गए हैं, उनमें 60% से ज्यादा मामले घरों में कूलर या पानी जमा होने से जुड़े थे, जबकि बाकी दुकान, होटल और अन्य जगहों की लापरवाही के कारण थे। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे इस अभियान को एकबारगी न मानें, बल्कि आगे भी नियमित जांच जारी रखी जाएगी। इस काम के लिए टीमों को विशेष ट्रेनिंग भी दी जा रही है ताकि वे बीमारी के स्रोत को पहचानकर तुरंत कार्रवाई कर सकें।
विभाग ने जनता से भी अपील की कि वे अपने घर और आसपास साफ-सफाई बनाए रखें, पानी जमा न होने दें और खाने-पीने की चीजों को सही तरीके से रखें। साथ ही अगर किसी को बुखार, उल्टी-दस्त, या अन्य संक्रामक बीमारी के लक्षण दिखें तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें। विभाग का कहना है कि केवल सरकारी प्रयास से बीमारियों पर काबू पाना संभव नहीं, इसके लिए हर व्यक्ति की भागीदारी जरूरी है। लोग व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से स्वच्छता को आदत बनाएंगे तभी बड़े स्तर पर परिणाम दिखेंगे।
कुछ सामाजिक संगठनों और एनजीओ ने भी इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग का सहयोग किया और मोहल्लों में लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। उन्होंने गलियों और बस्तियों में जाकर डेंगू व मलेरिया से बचाव के पोस्टर लगाए, लाउडस्पीकर से अनाउंसमेंट की और बच्चों में स्वच्छता किट भी बांटी। इस सहयोग से विभाग की मुहिम को और मजबूती मिली और ज्यादा लोगों तक संदेश पहुंच सका।
इस अभियान से साफ हो गया कि शहर और गांव दोनों ही जगह लोग अभी भी साफ-सफाई को लेकर लापरवाह हैं। लेकिन विभाग ने चेतावनी दी है कि यदि लोग अब भी नहीं सुधरे तो आने वाले समय में और सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए हर वार्ड में नोडल अफसर नियुक्त किए जा रहे हैं, जो रोजाना सफाई की निगरानी करेंगे और हर हफ्ते रिपोर्ट देंगे। विभाग ने उम्मीद जताई कि लोग इस चेतावनी को गंभीरता से लेंगे और सफाई व्यवस्था को सुधारेंगे ताकि खुद के साथ-साथ पूरे समाज को गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके।
