मानसून सत्र से पहले केंद्र सरकार की सर्वदलीय बैठक आज,
मानसून सत्र से पहले केंद्र सरकार की सर्वदलीय बैठक आज,संसद के मानसून सत्र को सुचारू और रचनात्मक बनाने की कवायद, विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच संवाद स्थापित करने की कोशिश
नई दिल्ली: संसद के आगामी मानसून सत्र से पहले केंद्र सरकार ने आज एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। यह बैठक संसद भवन परिसर में होगी और इसकी अध्यक्षता केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू करेंगे। इस बैठक का उद्देश्य सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही को शांतिपूर्ण और रचनात्मक बनाए रखने के लिए सभी राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करना है।
बैठक में सरकार सत्र के दौरान लाए जाने वाले प्रमुख विधेयकों, संभावित चर्चाओं और विपक्षी दलों की चिंताओं को सुनने और समझने की कोशिश करेगी। यह परंपरा रही है कि संसद के हर सत्र से पहले सरकार विपक्षी दलों से संवाद स्थापित करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाती है ताकि संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाया जा सके।
मानसून सत्र की पृष्ठभूमि
इस बार का मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलने की संभावना है। कुल मिलाकर यह सत्र लगभग 15 बैठकों का होगा। इस दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयक सरकार के एजेंडे में शामिल हैं, जिनमें से कुछ का विपक्ष विरोध कर सकता है। इसलिए सरकार ने सत्र से पहले सभी दलों से बातचीत करने का निर्णय लिया है।
संसदीय कार्य मंत्रालय के मुताबिक, बैठक में लोकसभा और राज्यसभा के सभी प्रमुख दलों के नेता भाग लेंगे। आम तौर पर प्रधानमंत्री भी इस बैठक में भाग लेते हैं, हालांकि इस बार उनके शामिल होने को लेकर पुष्टि नहीं हुई है।
संभावित एजेंडा
बैठक में सरकार जिन मुद्दों पर चर्चा कर सकती है, उनमें शामिल हैं:
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तीन नए विधेयकों की प्रस्तुति, जिनमें एक डेटा सुरक्षा विधेयक भी शामिल हो सकता है।
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बजट सत्र के दौरान लंबित विधेयकों पर चर्चा
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अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत का रुख और संसद में चर्चा की संभावनाएं
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विपक्ष की ओर से उठाए जाने वाले मुद्दे, जैसे महंगाई, बेरोजगारी, मणिपुर हिंसा, और जम्मू-कश्मीर की स्थिति
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सदन की कार्यवाही को बाधित न होने देने की अपील
विपक्ष की रणनीति
विपक्षी दल पहले से ही सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की योजना बना रहे हैं। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने संकेत दिए हैं कि वे मणिपुर में जारी तनाव, महंगाई, किसानों की समस्याओं और केंद्र-राज्य संबंधों पर सरकार से जवाब मांगेंगे।
‘इंडिया’ गठबंधन भी सत्र के दौरान समन्वित रणनीति बनाने में जुटा है। ऐसी संभावना है कि विपक्ष सर्वदलीय बैठक में सरकार से यह मांग करेगा कि मणिपुर हिंसा पर सदन में विशेष चर्चा कराई जाए और गृह मंत्री अमित शाह जवाब दें।
सरकार का रुख
सरकार की ओर से संकेत दिए गए हैं कि वह खुली चर्चा के लिए तैयार है लेकिन वह चाहती है कि बहस का माहौल गरिमा पूर्ण हो और कार्यवाही बाधित न हो। किरेन रिजिजू ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि सरकार सभी दलों की राय को महत्व देती है और संसद लोकतंत्र का मंदिर है, जिसे शांतिपूर्ण ढंग से चलाना हम सबकी जिम्मेदारी है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह बैठक?
सर्वदलीय बैठक ऐसे समय में हो रही है जब देश में कई संवेदनशील मुद्दे गर्म हैं। हाल ही में जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले, भारत-चीन सीमा विवाद, और राज्यों के साथ बढ़ती राजनीतिक तनातनी ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। ऐसे में मानसून सत्र के दौरान विपक्ष आक्रामक रुख अपना सकता है।
सरकार इस बैठक के माध्यम से सभी दलों को विश्वास में लेकर एक सहमति बनाने की कोशिश करेगी ताकि संसद की कार्यवाही बाधित न हो और जनता से जुड़े मुद्दों पर सार्थक बहस हो सके।
निष्कर्ष
मानसून सत्र से पहले बुलाई गई यह सर्वदलीय बैठक भारतीय लोकतंत्र के लिए एक सकारात्मक पहल है, जो संवाद और सहमति की संस्कृति को आगे बढ़ाती है। हालांकि, इस बात की असली परीक्षा सत्र की कार्यवाही के दौरान होगी कि क्या यह संवाद सहयोग में बदलता है या फिर संसद एक बार फिर गतिरोध का शिकार होती है।
